जूना अखाड़ा :– मान्यता के अनुसार, यह सबसे पुराना अखाड़ा है। इसीलिए इसे जूना (पुराना) नाम दिया गया है। वर्तमान में सबसे ज्यादा महामंडलेश्वर (275) इसी अखाड़े के है। इनमें विदेशी व महिला महामंडलेश्वर भी शामिल है।
अटल अखाड़ा –
इस अखाडे में सिर्फ ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य को दीक्षा दी जाती है। अन्य वर्गों को इस अखाड़े में शामिल नहीं किया जाता।
आवहन अखाड़ा –
अन्य अखाड़ों में महिला साध्वियों को भी दीक्षा दी जाती है, लेकिन आवाहन में महिला साध्वियों की कोई परम्परा नहीं है।
निरंजनी अखाड़ा –
इस अखाड़े में लगभग 50 महामंडलेश्वर है। सबसे ज्यादा उच्च शिक्षित महामंडलेश्वर इसी अखाड़े में है।
अग्नि अखाड़ा –
इस अखाड़े में सिर्फ ब्राह्मणों को ही दीक्षा दी जाती है। ब्राह्मण के साथ उनका ब्रह्मचारी होना भी आवश्यक है।
महानिर्वाणी अखाड़ा –
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा का जिम्मा इसी अखाड़े के पास है। यह परम्परा अनेक वर्षों से चली आ रही है।
आनंद अखाडा –
इस शैव अखाड़े में आज तक एक भी महामंडलेश्वर नहीं बनाया गया है। इस अखाड़े में आचार्य का पद प्रमुख होता है।
दिगंबर अणि अखाड़ा –
इस अखाड़े में सबसे ज्यादा खालसा (431) हैं। वैष्णव संप्रदाय के अखाड़ों में इसे राजा कहा जाता है।
निर्मोही अणि अखाड़ा –
वैष्णव सम्प्रदाय के तीनों अणि अखाड़ों में से इसी में सबसे ज्यादा अखाड़े शामिल हैं। इनकी संख्या 9 है।
निर्वाणी अणि अखाड़ा –
इस अखाड़े के कई संत प्रोफेशनल पहलवान रह चुके हैं। कुश्ती इस अखाड़े के जीवन का एक हिस्सा है।
बड़ा उदासीन अखाड़ा –
इस अखाड़े का उद्देश्य सेवा करना है। इस अखाड़े में 4 महंत होते हैं, जो कभी रिटायर नहीं होते है।
नया उदासीन अखाड़ा –
इस अखाड़े में उन्हीं को नागा बनाया जाता है, जिनकी दाड़ी-मूंछ न निकली हो यानी 8 से 12 साल तक के।
निर्मल अखाड़ा –
इस अखाड़ें में धूम्रपान पर पूरी तरह पाबंदी है। इस अखाड़े के सभी केंद्रों के गेट पर इसकी सूचना लिखी रहती है।
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